सरकारी साइकल के चोर ? मुख्यमंत्री मामा के भांजे भांजियों के साथ धोखा
स्कूल चले अभियान का नाम तो सुना ही होगा, आपने। लेकिन आज देखिए "दुकान चले अभियान"
ऐसी दुकान जहां मोटे मुनाफे के लिए मामा की महत्वाकांक्षी योजना के साथ देश के भविष्य को भी दांव पर लगा मारा।
कैसे और कहां तो ...झांकिए यह वाली उफ्फ़..।
(खबर साथ चस्पा वीडियो को देख लीजिए )
वाकई भ्रष्ट्राचारियों ने दिमाग का दही कर मारा है।
तो साहब यह है छतरपुर जिले के राजनगर में मौजूद साइकल दुकान का गोदाम । साइकलों की भीड़ में इस वाली साइकल पर नज़र मारिए।
जी, ठीक समझे यह सरकारी योजना के तहत स्कूली छात्र, छात्राओं को दी जाने वाली साइकल ही है।
लेकिन यहां?..तो चौकिएँ मत, भ्रष्ट्राचार ऐसा बुलंद हुआ कि साइकल बच्चों के हाथों में होने के बजाय दुकान पर बेची जाने लगी।
एक साहब सायकल खरीदने की इच्छा पाले इस दुकान पर जा पहुंचे। पसन्द करते करते नज़र एक पट्टी पर पड़ी।
दिमाग में सवाली कीड़ा कुलबुलाया तो सच उछलकर सामने था!
(वीडियो में सुन ही लिया होगा आपने....)
दुकान के कर्मचारी ने जो सच उगला वो साफ़ कर गया कि खेल तगड़ा है |
इस प्राणी की माने तो अब तक ऐसी कई साइकल, इस गोदाम से बिक चुकी हैं।
माथापच्ची इस बात कि आखिर साइकल, इस दुकानदार तक कैसे और कितनी पहुंची?
जांच का सुर लगाते हुए बीआरसी साहब क्या फरमाते हैं..सुनिए।
(वीडियो में हैं साहब की प्रतिक्रिया)
जांच कैसे और किस स्तर तक होती है?... भैया सब जानते हैं।
वो तो छोड़ ही दीजिए।
शिव बाबू..इस बार मामला शिक्षा और देश के भविष्य से जुड़ा है। कार्रवाई तो बनती है।
गाड़ना है या फिर उलटा लटकाना है..आप देखो...पर अब, मसले को कड़क अंदाज के साथ निपटा ही डालो प्रभु .....
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