23 बरस पाक जेल में गुज़ारे । फिर तकदीर ने वो दिखाया..जिसने ला दिए आंखों में आंसू
साल दर साल गुजरते गए । आंखों में सपना डबडबाता रहा कि..कभी तो वतन की मिट्टी फिर उसके माथे पर सजेगी ।
इंतज़ार था..जो चलता रहा । तकदीर ने 23 बरस तक इम्तिहान लिया । और फिर वो वक्त भी आया जिसका इंतज़ार न सिर्फ उसको बल्कि अपनों को भी था ।
यह शब्द उभरे हैं,उसकी कहानी से,जो बरसों दुश्मन देश की जेल में पीड़ा भुगतकर आखिर वतन की सरजमी पर लौट ही आया ।
प्रहलाद राजपूत । यही नाम है उस शख्स का ,जिसे अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा पाकिस्तान की जेल में काटना पड़ा । सागर जिले के गौरझामर थाना अंतर्गत ग्राम घोसीपट्टी का निवासी प्रहलाद मानसिक रूप से कमज़ोर है ।
साल 1998 में प्रहलाद अचानक लापता हो गया । छानबीन की गई लेकिन कोई खोज खबर नही लग सकी ।
साल 2014 में यह सूचना आई कि प्रहलाद पाकिस्तान की जेल में बंद है । खबर मिलने के बाद परिजनों और सरकार ने प्रयास शुरू किए । काफी मशक्कत के बाद आखिरकार वो दिन आया जब सभी की मेहनत और आशा रंग लाई ।
प्रहलाद के घर जश्न का माहौल है । वतन वापिसी और अपनों के बीच आकर प्रहलाद की खुशी भी देखते ही बनती है ।
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